Tuesday, May 8, 2018

SHORT STORIES लघु कथाएँ :: जगबीती

लघु कथाएँ 
SHORT STORIES 
 CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM 
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
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केरल का वर्तमान मुख्यमंत्री पिनियारि विजयन :: दिसंबर 1,971 में केरल के थलसरी में भयंकर साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। दंगों के डर से शहर के लोग सड़कों पर नहीं निकल पा रहे थे। अधिकांश लोग अपने घरों में ताला लगा कर अपने रिश्तेदारों के घर चले गए थे।
ऐसे हालात में विजयन कुरान नाम से एक 26 वर्षीय कट्टर कम्युनिस्ट गुंडा कई मुस्टन्डों को दो जीपों में भरकर मदमस्त हाथी जैसे इलाके में घूमते हुए लोगों को दंगों के लिए उकसा रहा था। इसी क्रम में चार जनवरी, 1,972 को थलसेरी में इस गिरोह के हाथों कुंजिरमन नामक एक निर्दोष हिन्दू की हत्या हो गई थी। उससे ठीक दो दिन पहले, थलसेरी क्षेत्र में एक 25 वर्षीय युवा आई पी एस अधिकारी ने ए एस पी के रूप में पदभार संभाला था। हत्या की जानकारी मिलने पर, वह मौके पर पहुँचा और हत्यारों की धर पकड़ में लग गया। जब उसे मुखबिरों से पता चला कि विजयन कुरान गिरोह एक फार्म हाउस में ड्रग्स पार्टी कर रहा है तो उस युवा IPS ने तुरंत अपनी पुलिस ब्रिगेड के साथ वहाँ दबिश दी।
गिरोह के सरगना विजय कुरान को एक कान्स्टेबल पकड़ने गया तो कुरान ने उसे धमका कर वापस दौड़ा दिया। स्थानीय कान्स्टेबल जो विजय कुरान की गुंडागर्दी को जानता था डर कर पीछे हट गया। यह सब देखकर युवा आईपीएस अधिकारी खुद मैदान में उतर गया। वह उसके पीछे भागा और उसके पिछवाड़े पर जोर से लात मारी। विजयन कुरान औंधे मुँह जमीन पर गिर गया और उसका चेहरा घायल हो गया। चेहरे और हाथों से खून बह रहा था और उसकी सफेद लुंगी खुल कर नीचे गिर गई। उसे थल्सेरी बाज़ार के बीच एक खुली जीप में थाने ले जाया गया जिसे थलसेरी के सभी लोग देख रहे थे।
युवा आईपीएस अधिकारी ने इस दौरान एक शब्द नहीं कहा। उसे पुलिस स्टेशन ले जा सेल में डाल दिया गया। एक कांस्टेबल ने सेल में जाकर उसकी हथकडियोँ को खोल दिया और कहा, "मुझे विश्वास नहीं है कि आप कल का सूर्योदय देखेंगे"। इस बीच उस युवा आईपीएस अधिकारी ने सेल में प्रवेश किया। उसने एक हाथ से गुंडे की गर्दन पकड़ ली और उसे दीवार में लगे एक खूँटे पर टाँगकर भरपूर सेवा की। 
कम्युनिस्ट गैन्गस्टर मार खाकर पानी माँगने लगा उस अधिकारी की अनुमति से, कांस्टेबल ने एक गिलास पानी लाकर उसे पिलाया। अब IPS अधिकारी ने उसके झुके सर को ऊपर उठाते हुए कहा "विजयन कुरान! मेरी तरफ देखो"। लेकिन उस उपद्रवी को मलयालम के अलावा कुछ नहीं आता था और उस IPS को अभी तक मलयालम ठीक से नहीं आती थी तब गुंडे के रोने-धोने को नजर अंदाज करते हुए, वह IPS  एक रिवाल्वर लाया और गुंडे के माथे पर लगा दिया, इतने में ही गुंडे का पेशाब निकल गया और सारी हेकड़ी गायब हो गई।
IPS ने टूटे-फूटे मलयालम में कहा :- "इस थालास्सेरी क्षेत्र में कहीं भी कोई हिंसा या झड़प नहीं होनी चाहिए यदि ऐसा हुआ, तो पिस्तौल की गोली सीधे तुम्हारी खोपड़ी में चली जाएगी; बात समझ में आई की नहीं"? "यस सर" उसने रोते हुए कहा। अधिकारी ने बाहर जाते हुए गुण्डे को अपने पैरों और नीचे फर्श पर फैले मूत्र को साफ करने का आदेश दिया जिसे उस गुण्डे ने बखूबी किया। उसके बाद छह महीने तक थलसेरी में कोई झड़प नहीं हुई। जब वहाँ सब कुछ शांत हो गया, तो युवा IPS अधिकारी को मुख्यमंत्री सी. अच्युत मेनन ने सराहा और दूसरे अशांत क्षेत्र में भेज दिया!
वह युवा IPS अधिकारी अजीत डोवल है और वह कम्युनिस्ट गुंडा विजयन कुरान, केरल का वर्तमान मुख्यमंत्री पिनियारि विजयन है।
वह गुंडा था केरल का वर्तमान मुख्यमंत्री पिनियारि विजयन। घटना के बाद अपमान में विजयन कुरान ने अपना नाम बदलकर पिनियारि विजयन कर लिया। फ़िर कम्युनिस्ट पार्टी मे उसका विकास होता गया और वह केरल का मुख्यमंत्री बन गया और भाग्य का चक्र देखिए आज फ़िर पचास वर्षों बाद सऊदी दूतावस सोना तस्करी कांड में इसी पिनियारि विजयन का नाम प्रमुखता से आ रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से इस केस की गम्भीरता को देखते हुए NSA अजीत डोवल को भी इस जाँच में शामिल किया गया है।[29.07.2023] 
SHAMELESS ANTI NATIONAL CONGRESS MINISTER :: Few months after 26/11, Taj group of Hotels owned by TATA's 
launched their biggest tender ever for remodelling all their Hotels in India and abroad. Some of the companies who applied for that tender were from Pakistan as well. To make their bid stronger, two big industrialists from Pakistan visited Bombay House (Head office of Tata) in Mumbai without an appointment to meet up with Ratan Tata, since he was not giving them any prior appointment. They were made to sit at the reception of Bombay house and after a few hours a message was conveyed to them that Ratan Tata is busy and can not meet anyone without an appointment.
Frustrated, these two Pakistani industrialists went to Delhi and through their High Commission met Anand Sharma then, a minister in Congress government, who immediately called up Ratan Tata requesting him to meet the two Pakistanis industrialists and consider their tender "enthusiastically". Ratan Tata replied, "You could be shameless, I am not" and put the phone down. Few months later when Pakistani government placed an order of Tata Sumo's to be imported into Pakistan, Ratan Tata refused to ship a single vehicle to that country. This is the respect and love for motherland that Ratan Tata has. Something that our current Politicians should learn from. 
बनिये का बेटा :: एक गाँव में एक बनिया रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी। एक बार वहाँ के राजा ने उसे सम्मानित करने को आमंत्रित किया। काफी देर चर्चा के बाद राजा ने कहा :– “महाशय, आप बहुत बड़े  सेठ हैं, इतना बड़ा कारोबार है पर आपका लड़का इतना मूर्ख क्यों है? उसे भी कुछ सिखायें। उसे तो सोने चाँदी में मूल्यवान क्या है यह भी नहीं पता॥” यह कहकर राजा जोर से हंस पड़ा। बनिए को बुरा लगा, वह घर गया व लड़के से पूछा “सोना व चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है ?” “सोना”, बिना एक पल भी गंवाए उसके लड़के ने कहा। “तुम्हारा उत्तर तो ठीक है, फिर राजा ने ऐसा क्यों कहा!? सभी के बीच मेरी खिल्ली भी उड़ाई। लड़के की समझ में आ गया, वह बोला “राजा गाँव के पास एक खुला दरबार लगाते हैं, जिसमें सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति  शामिल होते हैं। यह दरबार मेरे स्कूल जाने के मार्ग मे ही पड़ता है। मुझे देखते ही बुलवा लेते हैं, अपने एक हाथ में सोने का व दूसरे में चाँदी का सिक्का रखकर, जो अधिक मूल्यवान है, वह ले लेने को कहते हैं और मैं चांदी का सिक्का ले लेता हूँ। सभी ठहाका लगाकर हँसते हैं व मज़ा लेते हैं। ऐसा तक़रीबन हर दूसरे दिन होता है।” “फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नहीं उठाते, चार लोगों के बीच अपनी फजिहत कराते हो व साथ मे मेरी भी"!! लड़का हँसा व हाथ पकड़कर पिता को अंदर ले गया और कपाट से एक पेटी निकालकर दिखाई जो चाँदी के सिक्कों से भरी हुई थी। यह देख पिता भी हतप्रभ रह गया। लड़का बोला, “जिस दिन मैंने सोने का सिक्का उठा लिया, उस दिन से यह खेल बंद हो जाएगा। वो मुझे मूर्ख समझकर मज़ा लेते हैं तो लेने दें, यदि मैं बुद्धिमानी दिखाऊँगा तो कुछ नहीं मिलेगा।” बनिए का बेटा हूँ, अक़्ल से काम लेता हूँ। 
सबक :: मूर्ख होना अलग बात है और मूर्ख समझा जाना अलग। स्वर्णिम मॊके का फायदा उठाने से बेहतर है, हर मॊके को स्वर्ण में तब्दील करना।
CHIEF MINISTER :: Jaya's father died when she was a small child. Her mother joined film industry and she too got chances to work in films. She was a successful heroin. Her image as Maa Parwati was retained by her later after joining politics. She lived with a popular film star, who later joined politics. She too found an opportunity in politics. She soon became a shrewd politician and set the wife of the actor turned politician aside. Here Shashi became her aide and Jaya adopted her son. They looted the rich and poor and accumulated a lot of wealth. A Swami kept an eye over their nefarious activities and Jaya had to go to jail. Jaya became suspicious of Shashi's designs and tried to get rid of her and her family. Shashi's ambitions moved her to conspire against Jaya. Jaya was in the drivers seat again. Shashi showed crocodiles tears and told every one they her life was in danger without naming Jaya.
Jaya fell ill and was sent to hospital. People see reason in the the story of slow poisoning her. The conspiracy was fetched with the help of hospital staff including doctors. Jaya's most trusted aide was kept out of the scene, but he acquired Jaya's chair which was against Shashi's ambitions. The judiciary, the common man and nearly every one suspect Shashi of the foul game.
Indians TV channels portrait the women these days as shred conspirators. Now they have a beautiful real life & reel life story to telecast if they have courage.
Two people-one male and the other female have emerged claiming to be the real children of Jaya. The male claims that Shashi had quarrelled with Jaya, when he met her in her house. The female claims to be the daughter of Jaya and Ram. The male straightway blames Shashi of pushing Jaya off the stairs after which she fell down and became unconscious. Shashi is in jail for her other sins. 
भूल :: बहुत समय पहले की बात है वृन्दावन में श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में रोज पुजारी जी बड़े भाव से सेवा करते थे। वे रोज बिहारी जी की आरती करते, भोग लगाते और उन्हें शयन कराते और रोज चार लड्डू भगवान के बिस्तर के पास रख देते थे। उनका यह भाव था कि बिहारी जी को यदि रात में भूख लगेगी तो वे उठ कर खा लेंगे। और जब वे सुबह मंदिर के पट खोलते थे तो भगवान के बिस्तर पर प्रसाद बिखरा मिलता था। इसी भाव से वे रोज ऐसा करते थे। एक दिन बिहारी जी को शयन कराने के बाद वे चार लड्डू रखना भूल गए। उन्होंने पट बंद किए और चले गए। रात में करीब एक-दो बजे, जिस दुकान से वे बूंदी के लड्डू आते थे, उन बाबा की दुकान खुली थी। वे घर जाने ही वाले थे तभी एक छोटा सा बालक आया और बोला बाबा मुझे बूंदी के लड्डू चाहिए। बाबा ने कहा: लाला लड्डू तो सारे ख़त्म हो गए। अब तो मैं दुकान बंद करने जा रहा हूँ। वह बालक बोला आप अंदर जाकर देखो आपके पास चार लड्डू रखे हैं। उसके हठ करने पर बाबा ने अंदर जाकर देखा तो उन्हें चार लड्डू मिल गए क्यों कि वे आज मंदिर नहीं गए थे। बाबा ने कहा :- पैसे दो। बालक ने कहा :- मेरे पास पैसे तो नहीं हैं और तुरंत अपने हाथ से सोने का कंगन उतारा और बाबा को देने लगा, तो बाबा ने कहा: लाला पैसे नहीं हैं तो रहने दो, कल अपने बाबा से कह देना, मैं उनसे ले लूँगा। पर वह बालक नहीं माना और कंगन दुकान में फैंक कर भाग गया। सुबह जब पुजारी जी ने पट खोला तो उन्होंने देखा कि बिहारी जी के हाथ में कंगन नहीं है। यदि चोर भी चुराता तो केवल कंगन ही क्यों चुराता। थोड़ी देर बाद ये बात सारे मंदिर में फ़ैल गई। जब उस दुकान वाले को पता चला तो उसे रात की बात याद आई। उसने अपनी दुकान में कंगन ढूंढा और पुजारी जी को दिखाया और सारी बात सुनाई। तब पुजारी जी को याद आया कि रात में, मैं लड्डू रखना ही भूल गया था। इसलिए बिहारी जी स्वयं लड्डू लेने गए थे। (सत्य कथा)

भावार्थ :: यदि भक्ति में भक्त कोई सेवा भूल भी जाता है तो भगवान अपनी तरफ से पूरा कर लेते हैं।
POLICE INSPECTOR :: UP police advertised for recruitment to the post of sub inspectors. One of those who had applied for the post for was charged Rs. 25 Lakh for post. Later the recruitment was put hold by the court. The resident of Meerut who had paid the money with the hope that he would make Rs. 25 crore, went to the minister in UP government, whom he had paid money. The minister is the brother of the party chief of the party in power. He denied the refund of the money and said that the money has been spent and refund will not be made. However if he could loot a bank or kidnap some one , he will be protected by all means and no FIR will be allowed to be registered against him and his team. The Allahabad high court remarked in its judgement at 2 occasions that the UP police is an organised gang of criminals. It appears true in light of this incident.
Image result for नाथद्वारा मन्दिर :-नाथद्वारा मन्दिर :: राजस्थान में स्थित इस मन्दिर की मान्यता बहुत अधिक है। इरादा करके भी जा ना सका। एक दिन पुजारी ने देखा की मन्दिर के भण्डारघर में शक्कर-चीनी खत्म हो गई है तो उसने सम्बंधित अधिकारी को इसकी सुचना दी। तभी फ़ोन आया कि स्टेशन पर चीनी आई हुई है। डिलीवरी ले लें। सब कुछ अचानक था। पूछा कि चीनी किसने भेजी तो पता पड़ा कि भेजने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों ही की जगह भगवान् का नाम लिखा था ! पूरी ट्रैन में चीनी लदी थी। उदयपुर में कुछ दिन रहा मगर नाथद्वारा दर्शन की इच्छा अधूरी गई। (सत्य कथा)

दयालु वृद्ध महिला :: एक चोर किसी महिला के कमरे में घुस गया। महिला अकेली थी, चोर ने छुरा दिखाकर कहा कि अगर उसने शोर मचाया, तो वह उसे मार डालेगा। महिला बहुत भली थीं। उन्होंने चोर से कहा कि उसे उन चीजों की जरूरत उनसे ज्यादा है, अतः वे उसकी मदद करेंगी। उन्होंने अलमारी का ताला खोला और सभी  कीमती चीजें उसके सामने रख दीं। चोर हक्का-बक्का होकर उसकी ओर देखने लगा। स्त्री ने कहा कि वो अपने आवश्यकता की कोई भी वस्तु ख़ुशी से ले जा सकता है। उनके पास तो तो वे सब व्यर्थ ही पड़ी थीं। महिला ने देखा कि चोर की आँखों से आँसू टपक रहे हैं और वह बिना कुछ लिए चला गया। अगले दिन उस महिला को एक चिट्ठी मिली। उस चिट्ठी में लिखा था कि मुझे घृणा से डर नहीं लगता। कोई गालियां देता है तो उसका भी मुझ पर कोई असर नहीं होता। उन्हें सहते-सहते मेरा दिल पत्थर-सा हो गया है, पर मेरी प्यारी बहन, प्यार से मेरा दिल मोम हो जाता है। तुमने मुझ पर प्यार और दया बरसाई। मैं उसे कभी नहीं भूल सकूंगा। (प्रेरक सत्य कथा)
स्वर्ग-नरक :: एक राजा था। वो धर्म-कर्म के बारे में सोचता रहता था। एक दिन उसने अपने मंत्री से  पूछा कि वो कौन है जो (1) यहाँ हो, वहाँ नहीं, (2) वहाँ हो, यहाँ नहीं, (3) यहाँ भी नहीं हो और वहाँ भी न हो, और (4) जो यहाँ भी हो और वहाँ भी हो। मंत्री ने उत्तर देने के लिए दो दिन का समय माँगा। दो दिन के बाद वह चार व्यक्तियों को लेकर राज दरबार में हाजिर हुआ और बोला कि हे राजन! हमारे धर्मग्रंथों में अच्छे-बुरे कर्मों और उनके फलों के अनुसार स्वर्ग और नरक की अवधारणा प्रस्तुत की गई है। यह पहला व्यक्ति भ्रष्टाचारी है, यह गलत कार्य करके यद्यपि यहाँ तो सुखी और संपन्न दिखाई देता है, परन्तु इसकी जगह वहाँ यानी स्वर्ग में नहीं होगी। दूसरा व्यक्ति सद्गृहस्थ है। यह यहाँ ईमानदारी से रहते हुए कष्ट जरूर भोग रहा है, पर इसकी जगह वहाँ स्वर्ग में जरूर होगी। तीसरा व्यक्ति भिखारी और पराश्रित है। यह न तो यहाँ सुखी है और न वहाँ सुखी होंगा। यह चौथा व्यक्ति एक दान वीर सेठ है, जो अपने धन का सदुपयोग करते हुए दूसरों की भलाई भी कर रहा है और सुखी संपन्न है। अपने उदार व्यवहार के कारण यह यहाँ भी सुखी है और अच्छे कर्मों के कारण इसका स्थान वहाँ भी सुरक्षित है।
उलटी औरत :: एक थी औरत जो कि अपने पति की हर बात के विपरीत-उल्टा चलती थी। वो कुछ कहता वो कुछ करती। अगर वो किसी से बात भी करता, तो उनके बीच जाकर अपना ज्ञान और शेखी बघारती। पति की बात काटना तो उसकी प्रवृति और स्वभाव बन गया था। गरीब आदमी करे भी तो क्या!? एक दिन उसकी इच्छा गंगा नहाने की हुई तो बोला कि भागवान गंगा जी नहाने जा रहा हूँ, कल आऊँगा। वो बोली मैं भी साथ चलूँगी। वो बोला बैल गाड़ी लेके नहीं जायेंगे; वो वोली गाड़ी में ही चलेंगे। वो बोला आटा पीसने की चक्की नहीं ले जायेंगे। उसने आटा पीसने की चक्की रख ली। वो बोला बछड़ा लेके नहीं जायेंगे वो अभी हिलावर है; वो बोली अजी! ऐसे कैसे होगा उसको जरूर लेके जाना है!
वो जैसे-तैसे गंगा जी पहुँचे।  भला आदमी बोला बीच धार में कतई मत जाना; वो बोली मैं तो जरूर जाऊँगी, ठीक है पर हिलावर बछड़े को लेके मत जाना। वो बछड़े को ले जाने लगी। गरीब आदमी बोला अरी! बछड़े की रस्सी अपने कमर में मत बाँधना; भला वो कैसे मानती! वो बोला चक्की का पाट सर पे रख के  नदी में मत घुसना, वो कैसे मानती! अब बेचारा करे भी तो क्या ?! भली आदमन नदी के बीच धार तक चलती चली गई।  धार तेज थी बछड़ा बिदक गया और घबरा कर इधर-उधर भागने लगा। औरत का पैर फिसला और वो तेज धार में बहने लगी। गरीब नदी में कूड़ा और उससे बोला कि हाथ पकड़ ? वो भला आदत से लाचार हाथ कैसे पकड़ती !? वो तो बह गई और गरीब रँडुआ हो गया और रोते पीटते अपने घर वापस आ गया। 
कार्यवाही :: जँगल में पशुओं ने बन्दर को अपना राजा  चुन लिया। कुछ दिन बाद शेर ने हिरन के बच्चे को पकड़ लिया। हिरन ने बन्दर से फिरयाद की तो बन्दर शेर के पास गया और इस डाल से उस डाल पर कूदने फाँदने लगा तो हिरण बोला कि कुछ कार्यवाही करो शेर से कहो कि शावक को छोड़ दे। बन्दर बोला कि देखो मेरे कूदने फाँदने में कोई कोर कसर हो तो बोलो। अन्यथा शावक तो शेर का आहार है ही।
लुटेरा बाबर :: अकबर का दादा बाबर एक बेहद ही बर्बर, खूँखार और निर्दयी लुटेरा था।  वो भारत की शौहरत सुनकर भारत में आया था।  अपने दुश्मनों के सर कलम करवा कर उसने उन्हें उसने अपने दख्तरखान में चिट्टा चिनवाकर रखा हुआ था। वो उन खोपड़ियों के सामने बैठकर खाना खाता था और जोर-जोर से हँसता था। उसका सम्बन्ध चंगेजी बिरादरी से था जो कि लूट-खसोट, मार-धाड़, आगजनी करती रहती थी। उसकी नाजायज औलादें अभी तक भारत में राज करती हैं। 
विलासी अकबर :: अकबर घोर विलासी, कामी, लम्पट और अय्याश बादशाह था। वह एक ओर हिन्दुओं को मायाजाल में फंसाने के लिए दीने इलाही के नाम पर माथे पर तिलक लगाकर अपने को सहिष्णु दिखाता था, दूसरी ओर सुन्दर हिन्दु युवतियों को अपनी यौनेच्छा का शिकार बनाने की जुगत में रहता था। दिल्ली में वह मीना बाजार” लगवाता था। उसमें आने वाली हिन्दू युवतियों पर निगाह रखता था। जिसे पसन्द करता था उसे बुलावा भेजता था। राजा मान सिंह की पत्नी ने उसकी चप्पलों से तब पिटाई की थी जब वो बुरका पहन कर उनके साथ छेड़-छाड़ कर रहा था। उसके बारे में जिक्र आया है कि उसने कुछ औरतें महज इस काम के लिए थीं कि वे गाँव-गाँव घूमकर सुन्दर लड़कियों की तलाश करें और उसे सूचित करें। जैसे ही वो औरतें लड़कियों को फुसलाकर गाँव से बाहर लातीं थीं वो उन्हें उठा लाता था। फतहपुर सीकरी में वो चांदनी रात में चौसर खेलता था जिसमें मोहरों की जगह नंगी लड़कियाँ बिसात पर चलती थीं।  
डिंगल काव्य सुकवि बीकानेर के क्षत्रिय पृथ्वीराज उन दिनों दिल्ली में रहते थे। उनकी नवविवाहिता पत्नी किरण देवी परम धार्मिक, हिन्दुत्वाभिमानी, पत्नीव्रता नारी थी। वह सौन्दर्य की साकार प्रतिमा थी। उसने अकबर के मीना बाजार के बारे में तरह-तरह की बातें सुनीं। एक दिन वह वीरांगना कटार छिपाकर मीना बाजार जा पहुंची। धूर्त अकबर पास ही में एक परदे के पीछे बैठा हुआ आने-जाने वाली युवतियों को देख रहा था। अकबर की निगाह जैसे ही किरण देवी के सौन्दर्य पर पड़ी वह पागल हो उठा। अपनी सेविका आयशा को संकेत कर बोला कि किसी भी तरह इस मृगनयनी को लेकर मेरे पास लाओ मुंह मांगा इनाम मिलेगा। किरण देवी बाजार की एक हीरों की दुकान पर खड़ी कुछ देख रही थी। आयशा वहां पहुंची। धीरे से बोली-इस दुकान पर साधारण हीरे ही मिलते हैं। चलो, मैं तुम्हें कोहिनूर हीरा दिखाऊंगी। किरण देवी तो अवसर की तलाश में थी। आयशा के पीछे-पीछे चल दी। उसे एक कमरे में ले गई। अचानक अकबर कमरे में आ पहुँचा। पलक झपकते ही किरण देवी सब कुछ समझ गई। बोली “ओह मैं आज दिल्ली के बादशाह के सामने खड़ी हूं।” अकबर ने मीठी मीठी बातें कर जैसे ही हिन्दु ललना का हाथ पकड़ना चाहा कि उसने सिंहनी का रूप धारण कर, उसकी टांग में ऐसी लात मारी कि वह जमीन पर आ पड़ा। किरण देवी ने अकबर की छाती पर अपना पैर रखा और कटार हाथ में लेकर दहाड़ पड़ी-कामी आज मैं तुझे हिन्दु ललनाओं की आबरू लूटने का मजा चखाये देती हूँ। तेरा पेट फाड़कर रक्तपान करूंगी। धूर्त अकबर पसीने से तरबतर हो उठा। हाथ जोड़कर बोला, “मुझे माफ करो, रानी। मैं भविष्य में कभी ऐसा अक्षम्य अपराध नहीं करूंगा।” किरण देवी बोली-“बादशाह अकबर, यह ध्यान रखना कि हिन्दु नारी का सतित्व खेलने की नहीं उसके सामने सिर झुकाने की बात है। अकबर किरण देवी के चरणों में पड़ा थर-थर कांप रहा था। और मीना बाजार के नाटक पर सदा सदा के लिए पटाक्षेप पड़ गया था।
ज़ालिम शहजादा सलीम :: अकबर का बीटा सलीम जिसको पाने के लिए वो नंगे पाँव आगरा से अजमेर दरगाह पर दुआ माँगने गया था बड़ा ही जालिम साबित हुअ. उसे अकबर की धाय माई मीर ने बचपन से ही औरतों की सोहबत और नशे की लत लगा दी थी।  अकबर ने उसकी हरकतें बन्द करवाने के लिए उसे लड़ाई के मैदान में भेज दिया।  वहाँ बो सर्दी के रात में अलाव जलाकर बैठ जाता और अपने फौज के सबसे तंदरुस्त सिपाही की खाल अँगूठे से सर तक उतरवाता था। सिपाही की चीखने, चिल्लाने, रोने-पीटने से बहुत आनन्द आता था।  बड़ा होकर वह जहाँगीर कहलाया। 
ज़बाब :: आतंकवादी कभी रुस की तरफ रुख नहीं करते, जबकि रूस इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्य करता रहता है। एक बार आदत से लाचार 10 मुस्लिम आतंकवादियों ने रूस के 8 अफसरों को अगवा कर लिया और सन्देश भेजा कि हमारे 2 लोग जो कि तुम्हारे कब्जे में हैं, उन्हें छोड़ दो वरना हम इन लोगों को मार देंगे। रुसी सरकार का जवाब न मिलता देख उन्होंने एक अफसर को मारकर उसका सिर रुस की सरकार को भेज दिया और कहा कि जल्दी छोड़ दो वरना सारे लोगों के सिर कलम कर तुम्हे भेज दिये जायेंगे। अगले दिन उन आतंकवादियों को रुसी सरकार की तरफ से जवाब में उनके परिवार के एक एक सदस्य का सिर मिला और साथ में धमकी थी कि हिंसा पर मत उतरो वरना तुम्हारे सारे परिवार वालों को हम बिना धड़ के तुम्हारे पास भेज देंगे। आतंकवादियों ने तुरंत अफसरों को छोड़ा और खुद को सरकार के हवाले कर दिया। और इसलिए आज भी आतंकवादी रूस से खौफ खाते हैं। भारत में तो गली-गली नुक्कड़-नुक्कड़ पर तथा कथित धर्म निरपेक्ष ढोंगी बैठे हैं जो वोट के लिए देश को तो क्या अपनों को भी अपनी माँ-बहन को भी बेच सकते हैं। 

विद्व्ता :: दो ब्राह्मण एक धनी वणिज के यहाँ अतिथि बने।सेठ जी ने उनका बड़ा सत्कार किया। जब एक ब्राह्मण हाथ धोने को गए तो दूसरे से  सेठ जी ने पहले के ज्ञान-विद्व्ता के संबंध में पूछा। उसने उत्तर दिया कि वह तो एक मूर्ख बैलके समान है। जब दूसरा ब्राह्मण हाथ धोने को गया तो वही प्रश्न उन्होंने पहले से किया तो वो जबाब में बोला कि वो तो निरा गधा है। जब भोजन का समय हुआ तो वणिक ने एक गट्ठर घास और एक ढलिया भूसा उनके सामने ला रखा और बोला : लीजिए महाराज! बैल के लिए भूसा और गधे के लिए घास उपस्थित है। यह देख सुनकर दोनों ही बड़े लज्जित हुए। विद्वान होकर भी दूसरों के प्रति ईर्ष्या, द्वेष के भाव रखना बड़ी घृणित प्रवृत्ति है। ऐसे विद्वान भी निस्सन्देह पशु श्रेणी में रखे जाने योग्य हैं। 
इन्द्राणी मुखर्जिया :: पाण्डवों की पत्नी पाँचाली-द्रौपदी को भगवान् कृष्ण ने कृष्णा, अपनी बहन माना और निवाहा भी। जरूरत में बुलाते ही पलक झपकते ही पुहँच गए। द्रौपदी पूर्व जन्म में ब्राह्मण कन्या थी जिसने अपनी तपस्या से भगवान् शिव को प्रसन्न किया। भगवान् शिव ने उसे वरदान माँगने को कहा तो उसने ऐसे विलक्षण पति की माँग जिसमें पाँच गुण हों: सत्यवादी-धर्म स्वरूप, 10,000  हाथियों के बल से युक्त, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर, अत्यधिक सुन्दर आदि। भगवान् शिव ने कहा कि किसी एक मानव में ये सभी गुण संभव नहीं थे। अतः उसे पाँच पतियों की पत्नी होने का वरदान दे दिया। द्रौपदी दिव्य-जन्मा थी।वह हवन कुण्ड से प्रकट हुई थी। पूर्व जन्मों में विभिन्न मन्वन्तरों में वह 7 इन्द्रों की इन्द्राणी रह चुकी थी। द्रौपदी चिर कुमारी, पूज्य और सती मानी जाती हैं। 

कलि युग के प्रथम चरण में भी एक इन्द्राणी मुखर्जिया पैदा हुई थी। उसके पिता ने उसकी माँ से सम्बन्ध विच्छेद किया तो वो देवर को जा बैठी। उसके देवर ने इन्द्राणी का शरीरिक शोषण किया और उसकी माँ ने चुप रहना ही बेहतर समझा। कुछ बड़ी होते ही उसका नाता (आरूषी का सम्बन्ध भी अपने नौकरों से हो गया था, जब वो मात्र 12-13 साल की थी) ड्राइवर से हो गया और वह घर से भागी; मगर स्टेशन पर पकड़ी गई। हॉस्टल में पढ़ने भेजी गई जहाँ वो बोरा की बिन ब्याही पत्नी बन बैठी और मिखाइल और शीना की माँ बनीं। सिध्दार्थ को छोड़कर कलकत्ता गई, जहाँ इसी नाम की स्त्री का वेश्यावृति में पकड़े जाने का रिकॉर्ड मौजूद है। तभी उसने संजीव खन्ना से चौथा ब्याह रचाया और एक लड़की की माँ बनी। इसे भो छोड़ा और पीटर मुखर्जिया की हो गई, जिसके लड़के राहुल ने शीना से ब्याह रचाने की तैयारी की ही थी कि मार दी गई। इससे पहले वो कई एबॉर्शन करवा चुकी थी। मिखाइल मरने से बच गया। शीना बोरा ने अपनी डायरी में अपनी माँ को डायन कहा है। और अब यह कलियुगी इन्द्राणी हिरासत में है, अपनी अौलाद की हत्या के अपराध में। ये पापन-धन-लोलुप, व्याभिचारिणी-कुलटा और हत्यारिन है। इसके सम्बन्ध चिदंबरम-केंद्रीय कोंग्रेसी मंत्री से भी रहे हैं। 

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