प्रेरक प्रसंग
संत नामदेव :: (1). नामदेव जी महाराज एक संत थे। उनकी परमात्मा में अगाध भक्ति और प्रेम था। एक बार जैसे ही वे रोटी रखकर उसे घी से चुपड़ने के लिए मुड़े तो एक कुत्ता उसे लेकर भाग निकला। नामदेव जी उसके पीछे यह बोलते हुए दौड़े की भगवन ये रोटी तो आपके लिए ही थे कृपया इसे चुपड़ तो लेने दो। तत्काल भगवान् उस कुत्ते में से प्रकट हो गए।
(2). नामदेव जी को लम्बे कद का एक भयंकर प्रेत दिखाई दिया तो वे उसे भगवत्स्वरूप समझकर प्रसन्नता से भरकर उसकी ही स्वामी भाव से आराधना करने लगे। इससे प्रेत का उद्धार हो गया और उसकी जगह भगवान् प्रकट हो गए।
नानक देव :: (1). सामंत के बुलाने पर नानक उसके घर खाना खाने नहीं गए। उन्होंने एक गरीब किसान के घर रूखी रोटी खाना उचित समझा। सामन्त ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने दोनों के घर की रोटियाँ मंगाईं और उन्हें हाथ से मरोड़ा तो सामंत की रोटी से खून और किसान की रोटी से दूध निकला।
(2). भगवान् शिव के अवतार दुर्वासा जी और उनके ही रूप में नानकदेव को कहा जाता है। वे मस्जिद में जाकर लेट गए। सेवादार बोला कि काबा की ओर पैर मत करो। उन्होंने कहा कि मेरे पैर उस ओर कर दो जिस ओर काबा या ख़ुदा न हो। सेवादार ने ऐसा किया तो पूरी मस्जिद नानक देव के साथ-साथ घूम गई।
(3). पिता ने कहा कुछ पैसे ले जाओ और कारोबार-सौदा करो। नानक शाम को वापस आए पिता तो ने पूछा क्या किया ? उन्होंने बताया कि रास्ते में भूखे को उन पैसों से खाना खिला दिया। उन्होंने सच्चा सौदा किया था।
अमरत्व :: अफगानिस्तान में स्थित हिंदुकुश पर्वत रहस्यमयी है। यहाँ एक ऐसा झरना है जिसमें अमरत्व का रहस्य छिपा है। यही वह स्थान जिसे सोमरस का उद्गम समझा जाता है। बताया जाता है कि जंगल में स्थित एक गुफा के अंदर तालाब- जलकुंड में यह रहस्य छिपा है। सिकंदर के भारत विजय के अभियान के दौरान उसकी मुलाकात हिंदुकुश पर्वत पर एक योगी से हुई और उसने अमर होने की इच्छा जाहिर की। उसने सुना था कि भारत में योगी हजारों सालों तक जीवित रहते हैं। उसने अमरत्व के बारे में भी सुना था। सिकंदर ने उसे हर तरह का लालच, प्रलोभन, धमकी दीं। योगी ने उसकी लालसा को देखकर वन में स्थित उस स्थान का रास्ता बताया जहाँ उसकी इच्छा की पूर्ति हो सकती थी। आखिरकार वह उस गुफा तक जा ही पहुँचा। जलकुंड से पानी लेकर वह पीने ही वाला था कि तभी वहाँ काक-भुशण्डि जी पधारे। उन्होंने उसे इसकी अमरत्व की निरर्थकता का वर्णन किया और बताया कि इस अवस्था में प्राणी चाहकर भी मर नहीं सकता। और सिकंदर लौट गया।
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.comBy :: Pt. Santosh Bhardwaj
संत नामदेव :: (1). नामदेव जी महाराज एक संत थे। उनकी परमात्मा में अगाध भक्ति और प्रेम था। एक बार जैसे ही वे रोटी रखकर उसे घी से चुपड़ने के लिए मुड़े तो एक कुत्ता उसे लेकर भाग निकला। नामदेव जी उसके पीछे यह बोलते हुए दौड़े की भगवन ये रोटी तो आपके लिए ही थे कृपया इसे चुपड़ तो लेने दो। तत्काल भगवान् उस कुत्ते में से प्रकट हो गए।
(2). नामदेव जी को लम्बे कद का एक भयंकर प्रेत दिखाई दिया तो वे उसे भगवत्स्वरूप समझकर प्रसन्नता से भरकर उसकी ही स्वामी भाव से आराधना करने लगे। इससे प्रेत का उद्धार हो गया और उसकी जगह भगवान् प्रकट हो गए।
नानक देव :: (1). सामंत के बुलाने पर नानक उसके घर खाना खाने नहीं गए। उन्होंने एक गरीब किसान के घर रूखी रोटी खाना उचित समझा। सामन्त ने उनसे इसका कारण पूछा तो उन्होंने दोनों के घर की रोटियाँ मंगाईं और उन्हें हाथ से मरोड़ा तो सामंत की रोटी से खून और किसान की रोटी से दूध निकला।
(2). भगवान् शिव के अवतार दुर्वासा जी और उनके ही रूप में नानकदेव को कहा जाता है। वे मस्जिद में जाकर लेट गए। सेवादार बोला कि काबा की ओर पैर मत करो। उन्होंने कहा कि मेरे पैर उस ओर कर दो जिस ओर काबा या ख़ुदा न हो। सेवादार ने ऐसा किया तो पूरी मस्जिद नानक देव के साथ-साथ घूम गई।
(3). पिता ने कहा कुछ पैसे ले जाओ और कारोबार-सौदा करो। नानक शाम को वापस आए पिता तो ने पूछा क्या किया ? उन्होंने बताया कि रास्ते में भूखे को उन पैसों से खाना खिला दिया। उन्होंने सच्चा सौदा किया था।
अमरत्व :: अफगानिस्तान में स्थित हिंदुकुश पर्वत रहस्यमयी है। यहाँ एक ऐसा झरना है जिसमें अमरत्व का रहस्य छिपा है। यही वह स्थान जिसे सोमरस का उद्गम समझा जाता है। बताया जाता है कि जंगल में स्थित एक गुफा के अंदर तालाब- जलकुंड में यह रहस्य छिपा है। सिकंदर के भारत विजय के अभियान के दौरान उसकी मुलाकात हिंदुकुश पर्वत पर एक योगी से हुई और उसने अमर होने की इच्छा जाहिर की। उसने सुना था कि भारत में योगी हजारों सालों तक जीवित रहते हैं। उसने अमरत्व के बारे में भी सुना था। सिकंदर ने उसे हर तरह का लालच, प्रलोभन, धमकी दीं। योगी ने उसकी लालसा को देखकर वन में स्थित उस स्थान का रास्ता बताया जहाँ उसकी इच्छा की पूर्ति हो सकती थी। आखिरकार वह उस गुफा तक जा ही पहुँचा। जलकुंड से पानी लेकर वह पीने ही वाला था कि तभी वहाँ काक-भुशण्डि जी पधारे। उन्होंने उसे इसकी अमरत्व की निरर्थकता का वर्णन किया और बताया कि इस अवस्था में प्राणी चाहकर भी मर नहीं सकता। और सिकंदर लौट गया।
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