(ब्रह्मा जी के पहले पुत्र)
CONCEPTS & EXTRACTS IN HINDUISM
By :: Pt. Santosh Bhardwaj
dharmvidya.wordpress.com hindutv.wordpress.com santoshhastrekhashastr.wordpress.com bhagwatkathamrat.wordpress.com jagatgurusantosh.wordpress.com santoshkipathshala.blogspot.com santoshsuvichar.blogspot.com santoshkathasagar.blogspot.com bhartiyshiksha.blogspot.com santoshhindukosh.blogspot.com
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्।
गुणातीतं नीराकारं स्वेच्छामयमनन्तजम्॥
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
इनकी पत्नि दक्ष-कन्या संभूति थी। इनकी दो और पत्नियां थीं :- कला और उर्णा। उर्णा को ही धर्मव्रता भी कहा जाता है जो कि एक ब्राह्मण कन्या थी। दक्ष के यज्ञ में मरीचि ने भी भगवान् शिव का अपमान किया था। इस पर भगवान् शिव ने इन्हें भस्म कर दिया।
इन्होंने ही भृगु को दण्ड नीति की शिक्षा दी। ये सुमेरु के एक शिखर पर निवास करते थे और महाभारत में इन्हें चित्र शिखण्डी भी कहा गया है। ब्रह्मा जी ने पुष्कर क्षेत्र में जो यज्ञ किया था, उसमें ये अच्छावाक् पद पर नियुक्त हुए थे। दस हजार श्लोकों से युक्त ब्रह्म पुराण का दान पहले-पहल ब्रह्मा जी ने इन्हीं को किया था। वेद और पुराणों में इनके चरित्र का चर्चा मिलती है।
मरीचि ने कला नाम की स्त्री से विवाह किया और उनसे उन्हें कश्यप नामक एक पुत्र मिला। कश्यप की माता ‘कला’ कर्दम ऋषि की पुत्री और ऋषि कपिल देव की बहन थी। ब्रह्मा जी के पोते और मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप ने ब्रह्मा के दूसरे पुत्र दक्ष की 13 पुत्रियों से विवाह किया। मुख्यत इन्हीं कन्याओं से मैथुनी सृष्टि का विकास हुआ और कश्यप सृष्टि कर्ता कहलाए।
कश्यय पत्नी :: अदिति, दिति, दनु, काष्ठा, अरिष्ठा, सुरसा, इला, मुनि, क्रोधवशा, ताम्रा, सुरभि, सरमा और तिमि। महर्षि कश्यप को विवाहित 13 कन्याओं से ही जगत के समस्त प्राणी उत्पन्न हुए। वे लोक माताएं कही जाती हैं। इन माताओं को ही जगत जननी कहा जाता है।
कश्यप की पत्नी अदिति से आदित्य (देवता), दिति से दैत्य, दनु से दानव, काष्ठा से अश्व आदि, अरिष्ठा से गंधर्व, सुरसा से राक्षस, इला से वृक्ष, मुनि से अप्सरा, क्रोधवशा से सर्प, ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि, सुरभि से गौ और महिष, सरमा से श्वापद (हिंस्त्र पशु) और तिमि से यादोगण (जलजंतु) की उत्पत्ति हुई।
कश्यप के अदिति से 12 आदित्य पुत्रों का जन्म हुए जिनमें विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। राजा इक्ष्वाकु के कुल में जैन और हिन्दु धर्म के महान तीर्थंकर, भगवान्, राजा, साधु महात्मा और सृजनकारों का जन्म हुआ है।
वैवस्वत मनु के पुत्र :: (1). इल, (2).इक्ष्वाकु, (3). कुशनाम, (4). अरिष्ट, (5). धृष्ट, (6). नरिष्यन्त, (7). करुष, (8). महाबली, (9). शर्याति और (10). पृषध।
तार्क्ष्य कश्यप ने विनीता कद्रू, पतंगी और यामिनी से विवाह किया था। कश्यप ऋषि ने दक्ष की सिर्फ 13 कन्याओं से ही विवाह किया था।
इक्ष्वाकु के पुत्र और उनका वंश :: मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु के तीन पुत्र हुए:- (1). कुक्षि, (2). निमि और (3). दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। भगवान् श्री राम इक्षवाकु कुल में ही जन्मे।
Contents of these above mentioned blogs are covered under copyright and anti piracy laws. Republishing needs written permission from the author. ALL RIGHTS ARE RESERVED WITH THE AUTHOR.
संतोष महादेव-धर्म विद्या सिद्ध व्यास पीठ (बी ब्लाक, सैक्टर 19, नौयडा)
No comments:
Post a Comment